शुक्रवार, 29 फ़रवरी 2008

Lal Batti

सूरज जैसा हमारा, उनका भी
खून लाल हमारा भी, उनका भी
रूप जैसा हमारा, उनका भी
एक पापी पेट हमारा भी, उनका भी
............. फ़िर क्यों हैं वो दरकिनार ?
दिल में सपने जैसे हमारे, उनके भी
रंग फिजाओं में हमारे भी, उनके भी
रिश्ते मिलावती हमारे भी, उनके भी
खुशियाँ दिखावती हमारी भी, उनकी भी
........ फ़िर क्यों हैं वो सरहद के उस पार ?
........ फ़िर क्यों है उन्हें लाल बत्ती जलने का इंतजार ?

शायद उन्हें पैसे का सुरूर है .....
शायद वो मगरूर हैं .....
या फ़िर शायद ......
वो जिस्म बेचने को.............मजबूर हैं

10 टिप्‍पणियां:

Sandeep Singh ने कहा…
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Sandeep Singh ने कहा…

बहुत दिनों से मुझे भी इंतजार था। लाल बत्ती जलने का। नाम अट्रेक्ट करता इसलिए 'लाल बत्ती 'पर आता मगर खाली हाथ लौट जाता। आखिरकार बत्ती जली तो आंखे चुंधिया गईं। सचमुच...मिलावटी रिश्ते हमारे भी, उनके भी। यही नहीं लगभग सभी बातें एक जैसी फिर क्यूं है ये फासला, जो हर रात बत्ती जलने पर और भी गहरा हो उठता है। रोशनी नहाई हर रात उनकी ज़िंदगी पर डाल देती है एक और गाढ़ी काली रात की चादर। क्यों और देंखे कब तक।
बधाई।

Debu ने कहा…

sahi jaaa rahe ho GURU..........aapne to seedha sixer hi maar diya..ab duino budhwan blogmasteran ke kaa hoi...khair aapka aagaaz achha laga..andaaj to aur bhi achha laga..umeed karta hoon ki anjaam bahutai achha hoii.....dada ek baat boloon.. kavita bahut achhi hai..! aap bura to nahi maane......jo bhi ho jald hi ek rahi apka humsafar banega.....tab tak good by..Jai DADA..Jai SATYA...

RITESH KUMAR SRIVASTAVA ने कहा…

वाह गुरू छा गए. नया आगाज, नया अंदाज़, और साथ में नया नाम. उम्मीद है सुमित से सत्या का सफर आगे भी जारी रहेगा। और इसबार ये आगाज़, अंजाम तक पहुंचेगा. इसी के साथ लाल बत्ती को जलाने के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं.

sudhir shukla ने कहा…

चर्मिग आगाज...दुनियां को कर लो मुठठी में...अब तो तुम ही तुम छा गएं गुरू...बढ़ों और बढ़ते जाओं... रूककर पीछे मत ही देखना...अब समय तुम्हारा ही है सत्याजी...बधाई हो.

neeraj ने कहा…

अच्छा ब्लॉग बनाएं हो, पापाजी. फोटोग्राफी अच्छी कर लेतों हो. क्या ये रेड लाइट की फोटो है? कही की भी लेकिन इससे हमारी हमदर्दी है. बधाई हो पापाजी.

Rajesh Tripathi ने कहा…

समय से पहले लाल बत्ती एरिया का अनुभव हो गया ठीक है। मगर संभल के इलाका ये अच्छा है नही.....? लोगों के चढ़ाने पर मत जाना।

neeraj ने कहा…

bahut dino se lal batti par batti nahi jali.koi naya item nahi aaya kya...

एस आर हरनोट ने कहा…

आपका ब्‍लाग अच्‍छा बना है। रचनाएं भी बेहतर है। इसके लिए आप को बधाई।



एस आर हरनोट ने कहा…

आपका ब्‍लाग अच्‍छा है और रचनाएं भी। बधाई आपको।